जजों की नियुक्ति


भारतीय न्याय व्यवस्था अत्यधिक दबाव में है। तकरीबन 45 लाख मुकदमे लंबित पड़े हैं।ऐसे में भारत के मुख्य न्यायधीश का सुझाव काफी अच्छा है। सुप्रीम कोर्ट में जजो की संख्या बढ़ाने, रेटिरमेंट की उम्र 65 साल करने तथा पुनर्नियुक्ति से न्यायलयों पर दबाव कम होगा तथा मुकदमो का निबटारा भी जल्दी होगा। परंतु सरकार द्वारा लाये गए न्यायधीश नियुक्ति बिल पर भी विचार होना चाहिए। न्यायधीशों से विमर्श कर के तथा कुछ बदलाव कर के यदि यह संभव हो तोह ज्यादा अच्छा होगा। रेटिरमेंट कि उम्र बढ़ाना तथा पुनर्नियुक्ति अपने आप में एक समस्या है। एक देश जहां बेरोजगारी एक भयावह समस्या है क्या नए लोगो को न्यायधीश बनने का मौका न देना गलत नही होगा? जिस प्रकार अखिल भारतीय स्तर पर प्रशासनिक परीक्षा  आयोजित की जाती है वैसे हीं न्यायालय के लिए भी हो । प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए यह सुनिश्चित हो। अब जरूरत है कि अल्पकालिक समाधान की जगह दूरगामी समाधान हो। न्यायपालिका को भी अति सुरक्षात्मक रवैया छोड़ने की ज़रूरत है।

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