भारत जाग्रति की ओर
- भारत जाग्रति की ओर
- फ़िलहाल भारत मे जाग्रति का दौर चल रहा है ,मानो लोग अचानक जाग गए हों।
- अभी 'दामिनी ' बलात्कार केस के बाद जिस प्रकार से प्रदर्शन और विरोध हुआ ,वह भारतीयो के अंतर्मन मैं छुपे क्रोध का दर्पण है।
- यह क्रोध अचानक नहीं उत्पन हुआ ,बल्कि इस व्यवस्था की अनेक चोटों का परिणाम है।
- अब सायद लोग इस व्यवस्था मैं कुछ बदलाव देखना कहते हैं और कहते हैं के देश के नेतृत्व द्वारा जल्दी और कड़े फैसले लियें जाएँ।
- टीवी ,कम्बल,सइकिल या टेबलेट से ऊपर उठ कर लोग अब यह सोचने लगे हैं की कैसे सुशाशन स्थापित हो।
- परन्तु सरकार का रवैया भी ठीक न है ,उनका रवैया ऐसा है मनो ये प्रदर्शनकरी हमारे देश के नहीं बल्कि बाहरी हो।
- सरकार को यह समझना होगा के यह विरोध केवल एक केस को लेकर नहीं है बल्कि जंग खाई हुई उस ब्यवस्था के पुनर्निर्माण हेतु है।
- परन्तु के और बात हो सकती है इन विरोध प्रदर्शनों मैं कभी कभी असामाजिक तत्वों के मिल जाने का भी खतरा होता है जो बड़ा हीं आत्मघाती हो सकता है ,अतः इस बारे मैं सचेत रहने की जरुरत है।
- वैसे बार बार हो रहे आन्दोलन सर्कार के लिए टिके के तरह भाई काम कर रहें हैं जिसे वह बार बार दबा देती है ,और उसकी प्रथ्रोधक छमता दिन पर दिन बढती ही जा रही है।
- भारत जाग्रति की ओर
- फ़िलहाल भारत मे जाग्रति का दौर चल रहा है ,मानो लोग अचानक जाग गए हों।
- अभी 'दामिनी ' बलात्कार केस के बाद जिस प्रकार से प्रदर्शन और विरोध हुआ ,वह भारतीयो के अंतर्मन मैं छुपे क्रोध का दर्पण है।
- यह क्रोध अचानक नहीं उत्पन हुआ ,बल्कि इस व्यवस्था की अनेक चोटों का परिणाम है।
- अब सायद लोग इस व्यवस्था मैं कुछ बदलाव देखना कहते हैं और कहते हैं के देश के नेतृत्व द्वारा जल्दी और कड़े फैसले लियें जाएँ।
- टीवी ,कम्बल,सइकिल या टेबलेट से ऊपर उठ कर लोग अब यह सोचने लगे हैं की कैसे सुशाशन स्थापित हो।
- परन्तु सरकार का रवैया भी ठीक न है ,उनका रवैया ऐसा है मनो ये प्रदर्शनकरी हमारे देश के नहीं बल्कि बाहरी हो।
- सरकार को यह समझना होगा के यह विरोध केवल एक केस को लेकर नहीं है बल्कि जंग खाई हुई उस ब्यवस्था के पुनर्निर्माण हेतु है।
- परन्तु के और बात हो सकती है इन विरोध प्रदर्शनों मैं कभी कभी असामाजिक तत्वों के मिल जाने का भी खतरा होता है जो बड़ा हीं आत्मघाती हो सकता है ,अतः इस बारे मैं सचेत रहने की जरुरत है।
- वैसे बार बार हो रहे आन्दोलन सर्कार के लिए टिके के तरह भाई काम कर रहें हैं जिसे वह बार बार दबा देती है ,और उसकी प्रथ्रोधक छमता दिन पर दिन बढती ही जा रही है।
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